नेत्र.
नेत्र ( आँख ) : नेत्र रोग वर्णन
कठिनाईयाँ :
- नेत्रों में धूल या धुआँ जाने से |
- बहुत दिनों तक रोने से |
- मस्तिष्क में चोट आदि लगने से |
नोट :
किसी भी उम्र के महिला/ पुरुष यहाँ तक कि बहुत ही कम आयु जैसे 5 – 15 वर्ष तक के बच्चे /बच्चियाँ नेत्र-शक्ति कमजोर होने के कारण आज के व्यस्त और प्रदूषित वातावरण में चश्मे के बिना पैदल चलने में कठिनाइयों का सामना करते है, और स्पष्टता से वस्तु को ना देख पाने के कारण आँखों में पानी आना ,सिर-दर्द इत्यादि होना | मनुष्य शरीर में सबसे उत्तम और मूल्यवान अंग है , नेत्र और सही नेत्र शक्ति है तो संसार सुंदर है |अतः नेत्रों की रक्षा करना मनुष्य का सबसे जरूरी कर्तव्य है |
नेत्र क्या है ?
नेत्र शरीर का वह अंग है जिससे हम किसी भी वस्तु को स्पष्ट रूप से देखते है और स्पष्ट रूप से रंग-भेद कर सकते हैं| नेत्र अन्य सब इंद्रियों की अपेक्षा अधिक मूल्यवान व आवश्यक है | आँखो को बंद करने से हम वस्तुओं का अस्तित्व नहीं जान सकते |आँखो की पलके खोलने और स्पष्ट रूप से देख पाने से ही हमें उनकी वास्तविकता का ज्ञान होता है | जैसे :- रेलगाड़ी का संचालक या जहाज का नाविक दूर से ही लाल और हरी झंडी देखकर संकेत समझ लेता है और उसी के अनुसार गाड़ी या जहाज चलाता है | देखने की शक्ति न होने से समय-समय पर कितनी ही विपत्तियां पैदा हो जाया करती है | हम लोग जीवन के कितने ही – सुख आँखो के द्वारा भोग सकते हैं | हम जिन लोगों का शुभ चाहते है उनके मुख पर रौनक और प्रसन्नता देख कर हम सुखी होते हैं | सीमा – रहित नीलवर्ण आकाश , प्रशांत समुद्र और अन्य सैकड़ों प्राकृतिक मनोहर चित्र देख कर अपने नयनों को सार्थक कर सकते हैं | नेत्र न होने से प्राणी जीवन के कितने सुखों से वंचित रहते हैं , किसी कमजोर नेत्र -शक्ति और नेत्रहीन व्यक्ति को इसको शब्दों में समझना कठिन है |
बीमारियाँ
- आँखो में पानी आना
- आँखो में खुजली व एलर्जी होना
- आँखो में लाली हो ना
- आँखो में जाला हो ना
- कंप्यूटर पर काम करने के बाद आँखो में थकान व सिर-दर्द होना
- आँखो में नासूर का होना
- आँखो में चोट का घाव होना
- आँखो में रतौंधी रोग
- कलर ब्लाइंड
- आँखो में भेंगापन
- आँखो में गुहेरी अथवा अंजना निकलना
कारण
पाचन तंत्र में पुराना मल जमा हो जाने के कारण वायु विकार शिराअों द्वारा नेत्रों में पहुंचकर रोग उत्पन्न करता है |
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